{{विश्व पर्यावरण दिवस पर निबंध}} World Environment Day | Vishwa Paryavaran Diwas Par Nibandh | Paryavaran Diwas Essay In Hindi

विश्व पर्यावरण दिवस पर निबंध | World Environment Day | Vishwa Paryavaran Diwas Par Nibandh | Paryavaran Diwas Essay In Hindi 

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विश्व पर्यावरण दिवस | World Environment Day - 5 June



विश्व पर्यावरण दिवस पर निबंध | World Environment Day | Vishwa Paryavaran Diwas Par Nibandh | Paryavaran Diwas Essay In Hindi 

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World Environment Day Kya Hai :-


विश्व पर्यावरण दिवस 2017 व्याख्यान : विश्व पर्यावरण दिवस हर वर्ष 05 जून को मनाया जाता हैं | विश्व पर्यावरण दिवस का मतलब – हमारी प्रक्रति को सुरक्षित रखना,पेड़ो की सुरक्षा करना ,हमारी प्रथ्वी को हरा भरा रखना,कल कारखानों से निकले धुए से बचना,गन्दगी का न फेलना,जलवायु को स्वच्छ रखना,अधिक से अधिक पेड़ लगाना,पेड़ो की देख रेख करना,स्वच्छ जल को दूषित नहीं करना,धवनी प्रदुषण नहीं करना, इन सब बातों के बारे मैं आम नागरिक को जागरूक करने के लिए हर वर्ष 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता हैं | विश्व पर्यावरण दिवस 2017 मैं पूरे विश्व भर के लोगों के द्वारा 5 जून, सोमवार को मनाया जायेगा।


विश्व पर्यावरण दिवस | World Environment Day


Small Essay 1  :-  विश्व पर्यावरण दिवस | World Environment Day | Vishwa Paryavaran Diwas



World Environment  Day


'विश्व पर्यावरण दिवस' प्रत्येक वर्ष 5 जून को सम्पूर्ण विश्व में मनाया जाता है। यह दिन सकारात्मक पर्यावरणीय कार्यवाही करने की आवश्यकता की वजह से वैश्विक जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है। यह संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) द्वारा चलाया जाता है।

विश्व पर्यावरण दिवस, लोगों में पर्यावरण पर ध्यान केंद्रित करने के लिए जागरूकता का दिन है। यह दिन 1972 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा स्थापित किया गया था। विश्व पर्यावरण दिवस 100 से अधिक देशों में मनाया जाता है।

विश्व पर्यावरण दिवस को मनाने का उद्देश्य पर्यावरण के प्रति जागरूकता को प्रोत्साहित करना और राजनीतिक और सार्वजानिक जीवन में इस हेतु बढ़ावा देना है। इसका मुख्य मकसद प्रकृति और पृथ्वी की रक्षा करना और पर्यावरण को बेहतर बनाना है। इस मौके पर विश्व भर में कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।


Medium Essay 2  :-  विश्व पर्यावरण दिवस | World Environment Day | Vishwa Paryavaran Diwas


विश्व पर्यावरण दिवस संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रकृति को समर्पित दुनियाभर में मनाया जाने वाला सबसे बड़ा उत्सव है। पर्यावरण और जीवन का अटूट संबंध है फिर भी हमें अलग से यह दिवस मनाकर पर्यावरण के संरक्षण, संवर्धन और विकास का संकल्प लेने की आवश्यकता है। यह बात चिंताजनक ही नहीं, शर्मनाक भी है।

पर्यावरण प्रदूषण की समस्या पर सन् 1972 में संयुक्त राष्ट्र संघ ने स्टॉकहोम (स्वीडन) में विश्व भर के देशों का पहला पर्यावरण सम्मेलन आयोजित किया। इसमें 119 देशों ने भाग लिया और पहली बार एक ही पृथ्वी का सिद्धांत मान्य किया।

इसी सम्मेलन में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) का जन्म हुआ तथा प्रति वर्ष 5 जून को पर्यावरण दिवस आयोजित करके नागरिकों को प्रदूषण की समस्या से अवगत कराने का निश्चय किया गया। तथा इसका मुख्य उद्देश्य पर्यावरण के प्रति जागरूकता लाते हुए राजनीतिक चेतना जागृत करना और आम जनता को प्रेरित करना था।

उक्त गोष्ठी में तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने 'पर्यावरण की बिगड़ती स्थिति एवं उसका विश्व के भविष्य पर प्रभाव' विषय पर व्याख्यान दिया था। पर्यावरण-सुरक्षा की दिशा में यह भारत का प्रारंभिक कदम था। तभी से हम प्रति वर्ष 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाते आ रहे हैं।

पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 19 नवंबर 1986 से पर्यावरण संरक्षण अधिनियम लागू हुआ। उसके जल, वायु, भूमि - इन तीनों से संबंधित कारक तथा मानव, पौधों, सूक्ष्म जीव, अन्य जीवित पदार्थ आदि पर्यावरण के अंतर्गत आते हैं।


Long  Essay 2 :-  विश्व पर्यावरण दिवस | World Environment Day | Vishwa Paryavaran Diwas


Vishwa Paryavaran Diwas


दुनिया भर में 5 जून का दिन विश्व पर्यावरण दिवस के रूप में मनाया जाता है। 1973 में सबसे पहले अमेरिका में विश्व पर्यावरण दिवस के रूप में मनाया गया था। इस वर्ष भी हर वर्ष की तरह पर्यावरण दिवस पर दो-चार पेड़ लगाकर हम अपने दायित्व को पूरा कर लेंगे। लेकिन प्रकृति को समझने की कोशिश नहीं करेंगे। देखाजाए तो सृष्टि के निर्माण में प्रकृति की अहम भूमिका रही है।यहां हमने इतिहास के वो पन्ने पलटने की कोशिश की है जिनके बारे में सुनने, पढ़ने या फिर सोचने के बाद शायद हमें समझ आ जाए। हम आप का ध्यान उस दौर की और आकर्षित करना चाहते हैं जहां पर विशाल से विशाल जीवों ने प्रकृति के खिलाफ जाने की कोशिश की और अपना अश्तित्व ही खो दिया।

देखा जाए तो सृष्टि का निर्माण प्रकृति के साथ ही हुआ है। इस दुनिया में सबसे पहले वनस्पितयां आई। जो कि जीवन का प्राथमिक भोजन बना। उसके बाद अन्य जीवों ने अपनी जीवन प्रक्रिया शुरू की। माना जाता है कि मनुष्य की उत्पत्ति अन्य जानवरों के काफी समय बाद हुयी है। अगर कहा जाए तो मनुष्य की उत्पत्ति के बाद से ही इस सृष्टि में आये दिन कोई न कोई बदलाव होते आ रहें हैं। मनुष्य ने अपने बुद्धी व विवेक के बल पर खुद को इतना विकसित कर लिया की और कोई भी जीव उससे ज्यादा विवेकशील नहीं है। यहीकारण है कि दिन प्रतिदिन मनुष्य अपनी बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रकृति की कुछ अनमोल धरोहरों को भेंट चढ़ाता जा रहा है।

प्रकृति का वह आवरण जिससे हम घिरे हुए है पर्यावरण कहलाता है। आज वही पर्यावरण प्रदुषण की चरम सीमा पर पहुंच चुका है। हर कोई किसी न किसी प्रकार से पर्यावरण को प्रदुषित करने का काम कर रहा है। जहां कलकारखानें लोगों को रोजगार दे रहें हैं। वहीं जल-वायु प्रदुषण में अहम भूमिका भी निभा रहें हैं। कारखानों से निकलने वाला धूंआ हवा में कार्बन डाई आक्साइड की मात्र को बढ़ा देता है जो कि एक प्राण घातक गैस है। इस गैस की वातावरण में अधिक मात्रा होने के कारण सांस लेने में घुटन महसूस होने लगती है। चीन और अमेरिका जैसे कई विकसित देशों के वातावरण में गैसिए संतुलन विगड़ने से लोगों को गैस मासक लगाकर घुमना पड़ता है। अभी अपने देश में यह नौवत नहीं आयी है। लेकिन इस बात से भी मुंह नहीं फेरा जा सकता कि आने वाले भविष्य में हम भी उन्हीं देशों की तरह शुद्ध हवा के लिए गैस मासक लगा कर घुमते नजर आएंगे।

इस बात में कोई दो राय नहीं कि हमारा देश तरकी कर रहा है। आज हम किसी भी देश से कम नहीं है। लेकिन क्या यह सही है कि हम अन्य विकसित देशों की विकास की दौड़ में तो दौड़ते जा रहें हैं परंतु अपनी धरोहर को नष्ट करते जा रहें हैं। जो देश आज प्रदुषण को कम करने में लगा है। एक ओर हम है कि अपने देश में हरे-भरे जंगलों को तहस-नहस करते जा रहें हैं।

भारतवर्ष पुरातत्व काल से ही वनों को अत्याधिक महत्व दिया गया है। हम अगर अपने वेद-पुराण उठा ले तो उनमें भी वनों व वृक्षों को पुजनीय बताया गया है। हमारे धर्मों व कागज की जरूरत पूरा करने के लिए काटे जा रहा है और उन स्थान पर पूनः वृक्षारोपण कारने की बजय रियासी काॅलोनियां व नगर बसाये जा रहें हैं जिससे प्रकृति का संतुलन बिगड़ता जा रहा है।

एक दिन ऐसा आने वाला है जब हम अपनी आने वाली पीढ़ी को वन, उपवन की बातें अपने धार्मिक ग्रंथ रामायण व महाभारत में पढ़कर सुनाएंगे। वन होते क्या है, यह आने वाली पीढ़ी नहीं समझ पाएगी? अब अगर बात की जाए प्रदुषण की तो वृक्षोें का कटना प्रकृतिक संतुलन को बिगाड़ रहा है जिसके कारण वायु प्रदुषण बढ़ता जा रहा है। वायु में बढ़ती कार्बन डाई आक्साइड की मात्रा को पेड़ ही कम कर पाते हैं। पेड़ कार्बन डाई आक्साइड को ग्रहण कर शुद्ध आक्साीजन छोड़ते हैं जिससे प्रकृति में गैसों का संतुलन बना रहता है। लेकिन अब कार्बन उत्साहित करने वाले श्रोत बढ़ते जा रहें हैं। जबकि आक्सीजन बनाने वाले पेड़ों की संख्या दिन-प्रतिदिन कम होती जा रही है

जल ही जीवन है लेकिन उस जीवन में भी प्रदुषण नाम का जहर घुलता जा रहा है। पानी इंसान की अमूलभूत आवश्यकताओं में से एक है। बिना जल के जीवन की कल्पना करना भी बेकार है। आज के दौर में जल भी प्रदुषण की चरम सीमा पर है। जलवायु के नाम से पर्यावरण को जाना जाता है। लेकिन अब न तो जल प्रदुषण मुक्त है न ही वायु। देश की गंगा, यमुना, गंगोत्री व वेतबा जैसी बड़ी-बड़ी नदियां प्रदुषित हो चुकी है। सभ्यता की शुरूआत नदियों के किनारे हुई थी। लेकिन आज की विकसित होती दुनिया ने उस सभ्यता को दर किनार कर उन जन्मदयत्री नदियों को भी नहीं बक्शा।

भारत देश हमेशा से ही धर्म और आस्था का देश माना जाता रहा है। पुराणों में यहां की नदियों का विशेष महत्व वर्णन किया गया है। हिन्दु धर्म आस्था की मुख्य धरोहर गंगा आज आपनी बदनसीबी के चार-चार आंसू रो रही है। धर्म ग्रंथों के अनुसार राजा भागीरथ ने गंगा को स्वर्ग लोक से मृत्युलोक (पृथ्वी) पर बुलाने के लिए तपस्या की। तपस्या से खुश होकर गंगा पृथ्वी पर अवतरित हुई जिसने भागीरथ के बताए रास्ते पर चलकर उनके पूर्वजों को तार दिया। तभी से गंगा में स्नान कर लोग अपने पापों से मुक्ति पाने आते हैं। धर्म आस्था के चलते गंगा के किनारे कुंभ मेलों का आयोजन किया जाता है। देश भर में चार स्थान हरिद्वार, नासिक, प्रयाग व उन्नाव में कुम्भ के मेले का आयोजन होता है जिसमें देश के कोने-कोने से लाखों की तादात में श्रद्धालू अपने पापों से मुक्ति पाने व अपने बंश को तारने के लिए आते हैं।

जिस गंगा ने भागीरथ के बंश को तारा आज वो दुनिया भर के श्रद्धालुओं के पापों तार रही है। लेकिन उस भगीरथ ने कभी नहीं सोचा होगा जो गंगा उनकी तपस्या से पृथ्वी लोक पर मानव उद्धार के लिए आयी थी एक दिन वो खुद अपने उद्धार के लिए किसी भागीरथ की वाट हेरेंगी। आज गंगा नदी इतनी प्रदुषित हो गयी है कि खुद अपने आप को तारने के लिए किसी भागीरथ का इंतजार करेंगी। जो आए और उसकी व्यथा को समझे।

हम यह क्यों भूल जाते है कि प्रकृति जीवन का आधार है जिसे हम लगातार दुषित करते जा रहे है। इतिहास गवाह है कि प्रकृति के अनुकूल चलने वाला ही विकास करता है। जबकि विपरीत चलने वाले जीवन का तो नमोनिशान नहीं मिला। अब वक्त है कि हम इन बातों पर विचार करना होगा। आखिर कब तक आने वाले संुदर भविष्य के सपने बुनने के लिए अपने पर्यावरण के साथ खिलवाड़ करते रहेंगे। एक दिन तो अति का भी अंत हो जाता है। तो हम क्या है? अभी ज्यादा वक्त नहीं गुजरा आज भी समय है चेतने का इस अपने पर्यावरण को शुद्ध रखने और प्रकृति को बचाने का। इसका एक ही उपाय है वो है प्रकृति को बचाना है प्रदुषण को कम करना है तो हमें ज्यादा से ज्यादा वृक्ष लगाने होंगे। वृक्ष हमें लगाने होंगे लेकिन सरकारों की तरह कागजों पर नहीं बल्कि हमें आज से तय करना होगा कि आने वाली पीढ़ी को अगर हसता-खेलता देखना है तो प्रत्येक को कम से कम एक वृक्ष लगाना होगा।


Special :-


विश्व पर्यावरण दिवस के अभियान की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र की महासभा के द्वारा 1972 में की गई। यह प्रत्येक वर्ष जून के महीने में 5 तारीख को मनाया जाता है। यह मानव पर्यावरण पर स्टॉकहोम सम्मेलन के उद्घाटन के अवसर निकट भविष्य में पर्यावरण के मुद्दों पर ध्यान आकर्षित करने के लिए एक वार्षिक अभियान के रूप में घोषित किया गया था। यह दुनिया भर में गर्म वातावरण के मुद्दों के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए एक मुख्य उपकरण के रूप में संयुक्त राष्ट्र द्वारा निर्मित किया गया था। संयुक्त राष्ट्र द्वारा इस अभियान का मुख्य उद्देश्य लोगों के सामने पर्यावरण के मुद्दों का वास्तविक चेहरा देना और उन्हें विश्वभर में पर्यावरण के अनुकूल विकास का सक्रिय प्रतिनिधि बनाने के लिए सशक्त करना था।


पर्यावरण प्रदूषण को रोकने के लिए आप भी कुद कदम उठा सकते हैं – 


  • अपने घर के बाहर या घर में गमलों में ज्‍यादा से ज्‍यादा पौधे लगाईए। 
  • कहीं पानी बह रहा है तो उसको बहने से राकिए, जरूरत से पानी बरबाद मत कीजिए। 
  • प्‍लास्टिक की पॉलीथिन का प्रयोग मत कीजिए। 
  • पब्लिक ट्रांसपोर्ट से यात्रा कीजिए, अगर बहुत जरूरी हो तभी अपने निजी वाहन का प्रयोग कीजिए। 
  • किसी कार्यक्रम में ज्‍यादा तेज संगीत न बजाएं। इससे ध्‍वनि प्रदूषण कम होगा। 
  • बिना जरूरत के हॉर्न मत बजाइए। रेड लाइट पर अपनी गाडी को बंद कर दीजिए। 
  • कूडे को बाहर मत फेंकिए, कूडेदान में डालिए। 


विश्व पर्यावरण को बचाने के 10 संदेश


  • पर्यावरण दिवस पर पेड़ों को बचाना, वृक्षारोपण करने का संदेश
  • विश्व पर्यावरण दिवस के दिन कचड़े के ढेर की सफाई करने का संदेश
  • विश्व पर्यावरण दिवस पर देश में प्रदूषण की सच्चाई को बयां करने का संदेश
  • रैली के जरिए लोगों को जागरूक करने का संदेश.
  • विश्व पर्यावरण दिवस पर देश में विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम आयोजित कर पर्यावरण को बचाने का संदेश.
  • विश्व पर्यावरण दिवस पर पेड़ों को बचाने का संदेश दिया .
  • पेड़ लगाकर पर्यावरण को बचाने का सन्देश
  • प्रदूषण रोककर पर्यावरण को बचाने का सन्देश
  • वन्य जीवो और जंगलो को काटने से बचाने के लिए संदेश
  • एक कदम स्वच्छता की और मोदी संदेश


विश्व पर्यावरण दिवस पर निबंध | World Environment Day | Vishwa Paryavaran Diwas Par Nibandh | Paryavaran Diwas Essay In Hindi 

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