{{ राष्ट्रीय खेल हॉकी पर निबंध }} National game hockey essay in Hindi | Hockey par Nibandh | Essay on Hockey in Hindi

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राष्ट्रीय खेल हॉकी पर निबंध  | National game hockey essay in Hindi | Hockey par Nibandh | Essay on Hockey in Hindi


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Short Essay : - National game hockey |   राष्ट्रीय खेल हॉकी | Rashtriya khel hockey 


देश में राष्ट्रीय खेल हॉकी का विकास करने के लिए वर्ष 1925 में अखिल भारतीय हॉकी संघ की स्थापना की गई थी | बात करें ओलंपिक खेलों में भारतीय हॉकी टीम के प्रदर्शन की, तो ओलंपिक में अब तक भारत को कुल 18 पदक प्राप्त हुए हैं, जिनमें से 11 पदक अकेले भारतीय हॉकी टीम ने ही हासिल किए हैं | हॉकी में प्राप्त 11 पदकों में से 8 स्वर्ण, 1 रजत एवं 2 कांस्य पदक शामिल हैं | 1928 से लेकर 1956 तक लगातार छ: बार भारत ने ओलंपिक खेलों में हॉकी का स्वर्ण पदक जीतने में सफलता पाई | इसके अतिरिक्त 1964 एंव 1980 में भी स्वर्ण पदक प्राप्त किया |

हॉकी के विश्वकप में भारत का प्रदर्शन ओलंपिक जैसा नहीं रहा है | द्वितीय हॉकी विश्वकप, 1973 में भारत उपविजेता रहा था एंव केवल एक बार 1975 में यह विजेता रहा है | इसके बाद से अब तक हॉकी विश्वकप में भारत की स्थिति संतोषजनक नहीं रही है | वर्ष 2010 में हॉकी विश्वकप का आयोजन भारत में हुआ था, इसमें भी भारत संतोषजनक प्रदर्शन नहीं कर सका | एशियन गेम्स में 1966 एंव 1998 में अर्थात कुल दो बार भारत ने स्वर्ण पदक प्राप्त किया है तथा अब तक कुल 9 बार इसने इसमें रजत पदक प्राप्त करने में कामयाबी पाई है | इसके अतिरिक्त दो बार कांस्य पदक भी भारतीय हॉकी टीम अपने नाम कर चुकी है |

राष्ट्रीय खेल होने के बाद भी 70 के दशक के बाद से भारतीय हॉकी में लगातार गिरावट देखने को मिली है | यह कटु सत्य है कि जिस भारतीय हॉकी टीम की ओलंपिक में कभी तूती बोलती थी, वही टीम वर्ष 2008 के बीजिंग ओलंपिक के लिए क्वालिफाई भी नहीं कर पाई | हालांकि राष्ट्रमंडल खेल 2010 में भारतीय हॉकी टीम का प्रदर्शन अपेक्षाकृत बेहतर रहा था | खैर, पिछले कुछ वर्षों में भारतीय महिला हॉकी टीम ने अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी विशेष पहचान कायम करने में सफलता पाई है, किन्तु पुरुषों की हॉकी टीम के प्रदर्शन में निरंतर गिरावट आना चिंता का विषय है | विशेषज्ञों का कहना है कि 1970 के दशक के मध्य से हॉकी के मैदान में एस्ट्रो टर्फ अर्थात कृत्रिम घास के प्रयोग के बाद से भारतीय हॉकी टीम के प्रदर्शन में गिरावट आने लगी, क्योंकि भारत में ऐसे मैदानों का अभाव था | अब भारत में ऐसे हॉकी के मैदानों के विकास पर जोर दिया जा रहा है |  आशा है आने वाले वर्षों में भारत हॉकी में अपने पुराने गौरव को प्राप्त करने में सफल रहेगा |

"राष्ट्रीय खेल हॉकी पर निबंध" "National game hockey essay in Hindi" "Hockey par Nibandh" "Essay on Hockey in Hindi"

Medium Essay : - National game hockey |   राष्ट्रीय खेल हॉकी | Rashtriya khel hockey in hindi



हॉकी भारत का राष्ट्रीय खेल है । हॉकी एक लोकप्रिय खेल है, जिस प्रकार यह खेल भारतवर्ष में कई वर्षों से खेला जा रहा है उससे यह प्रतीत होता है कि यह खेल भारतीय है । वास्तविकता यह है, कि भारतवर्ष में हॉकी को अंग्रेजों ने शुरू किया था । भारतीय इस खेल में दक्ष हो गए और अन्तर्राष्ट्रीय मैचों में विजय प्राप्त करके नाम कमाया ।

बहुत पहले ईरान के लोग बल्लों से एक खेल खेला करते थे । यह खेल हॉकी से मिलता था । किन्तु वह खेल हॉकी की तरह बढ़िया नहीं था । ईरानियों से यह खेल यूनानियों ने सीखा और उसे रोम तक पहुंचाया। वर्ष 1921 में एथेन्स में हुई खोज के आधार पर इस बात की पुष्टि हुई, कि यूरोप – यह खेल पूर्व से ही पहुंचा । किन्तु आधुनिक हॉकी से मिलता-जुलता खेल पहली बार इंग्लैण्ड में ही खेला गया उस समय यदि 14 मीटर से ज्यादा की दूरी से गोल किया जाता तो उसे गोल नहीं माना जाता था ।

किन्तु तब तक गोल वृत्त नहीं बनाया जाता था । जिस प्रकार की हाँकी अब खेली जा रही है हॉकी का जन्म 1886 में तब हुआ जब हाँकी एसोसियेशन की स्थापना हुई । इसके बाद इंग्लैण्ड और आयरलैंड के मध्य वर्ष 1895 में पहला अन्तर्राष्ट्रीय मैच खेला गया ।

हॉकी का खेल दो टीमों के मध्य खुले मैदान में खेला जाता है । प्रत्येक टीम में ग्यारह-ग्यारह खिलाड़ी होते हैं । प्रत्येक टीम गोल करने का प्रयत्न करती है । हॉकी का मैदान 92 मीटर लम्बा और 52 से 56 मीटर चौड़ा होता है । हॉकी के खेल में गेंद, हाँकी, चुस्त ड्रैस, हल्के मजबूत और सही नाप के केनवास के जूते, झंडियां, गोल के खंभे तथा तख्ते तथा गोल की जालियां आदि चीजें काम आती हैं । हॉकी का खिलाड़ी स्वस्थ तथा मजबूत होना चाहिए ।

उसमें इतनी शक्ति होनी चाहिए कि वह दो-तीन घंटे सक्रियता तथा एकाग्रता से खेल सके और तेजी से दौड़ सके । हॉकी के खिलाड़ी में फुर्तीलापन, तत्काल निर्णय लेने की शक्ति तथा सहिष्णुता होनी चाहिए । हाँकी के खेल में सहयोग तथा सद्‌भावना जरूरी है, अकेला खिलाड़ी कुछ नहीं कर सकता । कुछ खिलाड़ी ड्रिबलिंग से दूसरे दर्शकों को मुग्ध कर देते हैं किन्त, यह अच्छा खेल नहीं है । वर्ष 1908 में हॉकी को ओलम्पिक खेलों में शामिल कर लिया गया ।

उस वर्ष जो अन्तर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता हुई उसमें केवल इंग्लैण्ड, स्कॉटलैड, वैल्स, आयरलैंड, जर्मनी तथा फ्रांस ने भाग लिया । पहले हॉकी के खेल में भरपूर मनोरंजन प्रदान करने की ओर ध्यान दिया जाता था । अब यह खेल विजय-पराजय को ध्यान में रखकर खेला जाता है ।

भारत ने ओलम्पिक हॉकी में सन् 1928 में पहली बार भाग लिया । भारत में अंतिम स्पर्धा में हालैंड को 3० गोल से पराजित करके हॉकी जगत में अपने नाम का सिक्का जमा दिया । चार वर्ष बाद लॉस एंजिल्स में भारत ने फिर से स्वर्ण पदक प्राप्त किया ।

भारतीय खिलाड़ी ड्रिबलिंग में कुशल थे । 1936 की भारतीय हॉकी टीम के कप्तान मेजर ध्यानचंद को जिन्हें हॉकी का जादूगर कहा जाता था और उन जैसा हॉकी का जादूगर विश्व में अभी तक नहीं हुआ है । देश में अभी हाल ही में उनका 100वां जन्मदिवस मनाया गया । भारतीय खिलाड़ियों का गेंद पर सदैव नियंत्रण रहता था और वे पास देने में भी कुशल थे । प्रत्येक खिलाड़ी प्रतिरक्षा तथा आक्रमण करना जानता था । भारतीय खिलाड़ियों में टीम की भावना थी । वे राष्ट्र के लिए खेलते थे ।

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Long Essay : - National game hockey |   राष्ट्रीय खेल हॉकी | Rashtriya khel hockey in hindi



भारत का राष्ट्रीय खेल हॉकी विश्व के लोकप्रिय खेलों में से एक है | इसकी शुरुआत कब हुई, यह तो निश्चित तौर पर नहीं कहा जा सकता किन्तु ऐतिहासिक साक्ष्यों से सैकड़ों वर्ष पहले भी इस प्रकार का खेल होने के प्रमाण मिलते हैं | आधुनिक हॉकी खेलों का जन्मदाता इंग्लैंड को माना जाता है | भारत में भी आधुनिक हॉकी की शुरुआत का श्रेय अंग्रेजों को ही जाता है | हॉकी के अन्तर्राष्ट्रीय मैचों की शुरुआत 19वीं शताब्दी में हुई थी | इसके बाद बीसवीं शताब्दी में 1924 ई. में अन्तर्राष्ट्रीय हॉकी संघ की स्थापना हुई | विश्व के सबसे बड़े अन्तर्राष्ट्रीय खेल आयोजन ‘ओलंपिक’ के साथ-साथ ‘राष्ट्रमंडल खेल’ एवं ‘एशियाई खेलों’ में भी हॉकी को शामिल किया जाता है | 1974 ई. में पुरुषों के हॉकी विश्वकप की एंव 1974 ई. में महिलाओं के हॉकी विश्व कप की शुरुआत हुई | न्यूनतम निर्धारित नियत समय में परिणाम देने में सक्षम होने के कारण ही इस खेल ने मुझे सदैव आकर्षित किया है |

हॉकी मैदान में खेला जाने वाला खेल है | बर्फीले क्षेत्रों में बर्फ के मैदान पर खेली जाने वाली आइस हॉकी भारत में लोकप्रियता अर्जित नहीं कर सकी है | दो दलों के बीच खेले जाने वाले खेल हॉकी में दोनों दलों के 11-11 खिलाड़ी भाग लेते हैं | आजकल हॉकी के मैदान में कृत्रिम घास का प्रयोग भी किया जाने लगा है | इस खेल में दोनों टीमें स्टिक की सहायता से रबड़ या कठोर प्लास्टिक की गेंद को विरोधी टीम के नेट या गोल में डालने का प्रयास करती हैं | यदि विरोधी टीम के नेट में गेंद चली जाती है, तो उसे एक गोल कहा जाता है | जो टीम विपक्षी टीम के विरुद्ध अधिक गोल बनाती है, उसे विजेता घोषित कर दिया जाता है | मैच में विभिन्न प्रकार के निर्णय में एवं खेल पर नियंत्रण के लिए मैच रेफरी को तैनात किया जाता है | मैच बराबर रहने की दशा में परिणाम निकालने के लिए व्यवस्था भी है |

राष्ट्रीय खेल हॉकी की बात आते ही तत्काल मेजर ध्यानचंद का स्मरण हो जाता है, जिन्होंने अपने करिश्माई प्रदर्शन से पूरी दुनिया को अचंभित कर खेलों के इतिहास में अपना नाम स्वर्णाक्षरों में अंकित करवा लिया | हॉकी के मैदान पर जब वह खेलने उतरते थे, तो विरोधी टीम को हराने में देर नहीं लगती थी | उनके बारे में यह कहा जाता है कि वे किसी भी कोण से गोल कर सकते थे | यही कारण है कि सेंटर फॉरवर्ड के रूप में उनकी तेजी और जबरदस्त फुर्ती को देखते हुए उनके जीवनकाल में ही उन्हें ‘हॉकी का जादूगर’ कहा जाने लगा था | उन्होंने इस खेल को नवीन ऊंचाइयां दीं |

मेजर ध्यानचंद का जन्म 29 अगस्त 1905 को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद शहर में हुआ था | वे बचपन में अपने मित्रों के साथ पेड़ की डाली की स्टिक और कपड़ों की गेंद बनाकर हॉकी खेला करते थे | 23 वर्ष की उम्र में ध्यानचंद 1928 के एम्सटर्डम ओलंपिक में पहली बार भाग ले रही भारतीय हॉकी टीम के सदस्य चुने गए थे | उनके प्रदर्शन के दम पर भारतीय हॉकी टीम ने 3 बार 1928 के एम्सटर्डम ओलंपिक, 1932 के लॉस एंजिल्स ओलंपिक एवं 1936 के बर्लिन ओलंपिक में, स्वर्ण पदक प्राप्त कर राष्ट्र को गौरवान्वित किया था | यह भारतीय हॉकी को उनका अविस्मरणीय योगदान है | ध्यानचंद की उपलब्धियों को देखते हुए ही उन्हें विभिन्न पुरस्कारों एंव सम्मानों से सम्मानित किया गया | 1956 ई. में 51 वर्ष की आयु में जब वे भारतीय सेना के मेजर पद से सेवानिवृत्त हुए, तो उसी वर्ष भारत सरकार ने उन्हें ‘पदमभूषण’ से अलंकृत किया | उनके जन्मदिन 29 अगस्त को ‘राष्ट्रीय खेल दिवस’ के रूप में मनाने की घोषणा की गई | मेजर ध्यानचंद के अतिरिक्त धनराज पिल्लै, दिलीप टिर्की, अजितपाल सिंह, असलम शेर खान, परगट सिंह इत्यादि भारत के अन्य प्रसिद्ध हॉकी खिलाड़ी रहे हैं |

देश में राष्ट्रीय खेल हॉकी का विकास करने के लिए वर्ष 1925 में अखिल भारतीय हॉकी संघ की स्थापना की गई थी | बात करें ओलंपिक खेलों में भारतीय हॉकी टीम के प्रदर्शन की, तो ओलंपिक में अब तक भारत को कुल 18 पदक प्राप्त हुए हैं, जिनमें से 11 पदक अकेले भारतीय हॉकी टीम ने ही हासिल किए हैं | हॉकी में प्राप्त 11 पदकों में से 8 स्वर्ण, 1 रजत एवं 2 कांस्य पदक शामिल हैं | 1928 से लेकर 1956 तक लगातार छ: बार भारत ने ओलंपिक खेलों में हॉकी का स्वर्ण पदक जीतने में सफलता पाई | इसके अतिरिक्त 1964 एंव 1980 में भी स्वर्ण पदक प्राप्त किया |

हॉकी के विश्वकप में भारत का प्रदर्शन ओलंपिक जैसा नहीं रहा है | द्वितीय हॉकी विश्वकप, 1973 में भारत उपविजेता रहा था एंव केवल एक बार 1975 में यह विजेता रहा है | इसके बाद से अब तक हॉकी विश्वकप में भारत की स्थिति संतोषजनक नहीं रही है | वर्ष 2010 में हॉकी विश्वकप का आयोजन भारत में हुआ था, इसमें भी भारत संतोषजनक प्रदर्शन नहीं कर सका | एशियन गेम्स में 1966 एंव 1998 में अर्थात कुल दो बार भारत ने स्वर्ण पदक प्राप्त किया है तथा अब तक कुल 9 बार इसने इसमें रजत पदक प्राप्त करने में कामयाबी पाई है | इसके अतिरिक्त दो बार कांस्य पदक भी भारतीय हॉकी टीम अपने नाम कर चुकी है |

राष्ट्रीय खेल होने के बाद भी 70 के दशक के बाद से भारतीय हॉकी में लगातार गिरावट देखने को मिली है | यह कटु सत्य है कि जिस भारतीय हॉकी टीम की ओलंपिक में कभी तूती बोलती थी, वही टीम वर्ष 2008 के बीजिंग ओलंपिक के लिए क्वालिफाई भी नहीं कर पाई | हालांकि राष्ट्रमंडल खेल 2010 में भारतीय हॉकी टीम का प्रदर्शन अपेक्षाकृत बेहतर रहा था | खैर, पिछले कुछ वर्षों में भारतीय महिला हॉकी टीम ने अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी विशेष पहचान कायम करने में सफलता पाई है, किन्तु पुरुषों की हॉकी टीम के प्रदर्शन में निरंतर गिरावट आना चिंता का विषय है | विशेषज्ञों का कहना है कि 1970 के दशक के मध्य से हॉकी के मैदान में एस्ट्रो टर्फ अर्थात कृत्रिम घास के प्रयोग के बाद से भारतीय हॉकी टीम के प्रदर्शन में गिरावट आने लगी, क्योंकि भारत में ऐसे मैदानों का अभाव था | अब भारत में ऐसे हॉकी के मैदानों के विकास पर जोर दिया जा रहा है |  आशा है आने वाले वर्षों में भारत हॉकी में अपने पुराने गौरव को प्राप्त करने में सफल रहेगा |

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