{{ अटल बिहारी वाजपेयी पर निबंध }} Essay on Atal Bihari Vajpayee In Hindi Essay/speech | Atal Bihari Vajpayee par nibandh

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 Introductions Of  Atal Bihari Vajpayee | अटल बिहारी वाजपेयी का परिचय


  1. पूरा नाम               :-       अटल बिहारी वाजपेयी
  2. जन्म                    :-       25 दिसम्बर
  3. जन्म स्थान           :-      ग्वालियर, मध्यप्रदेश
  4. माता-पिता             :-      कृष्णा देवी, कृष्णा बिहारी वाजपेयी
  5. विवाह                    :-       नहीं हुआ
  6. राजनैतिक पार्टी      :-       भारतीय जनता पार्टी
  7. अवार्ड                     :-       1992 – पद्म विभूषण

                                                1994 – लोकमान्य तिलक अवार्ड

                                                1994 – बेस्ट सांसद अवार्ड

                                                1994 – पंडित गोविन्द वल्लभ पन्त अवार्ड

                                                2014 – भारत रत्न




 Short Essay - 1 :-  Essay on Atal Bihari Vajpayee | अटल बिहारी वाजपेयी पर निबंध



अटल बिहारी वाजपेयी  का जन्म 25 दिसंबर 1924 ई० को भारत के मध्य प्रदेश राज्य में स्थित ग्वालियर के शिंदे की छावनी में हुआ था। इनके पिता श्री कृष्ण बिहारी वाजपेयी ग्वालियर में ही अध्यापन कार्य करते थे। अटलजी के दादा पं० श्याम लाल बिहारी वाजपेयी जाने-माने संस्कृत के विद्वान थे।

अटलजी की आरंभिक शिक्षा स्थानीय विद्यालय में हुई। तत्पश्चात ग्वालियर में ही विक्टोरिया कॉलेज से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। इसके पश्चात कानपुर के डी० ए० वी० कॉलेज से राजनीति शास्त्र में प्रथम श्रेणी में स्नातकोत्तर की उपाधि अर्जित की। इसके पश्चात कानून की पढ़ाई करने के लिए विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया।

अटलजी अपने प्रारंभिक जीवन में ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सम्पर्क में आ गए थे। 1942 के 'भारत छोड़ो' आन्दोलन में इन्होने भी भाग लिया और 24 दिन तक कारावास में रहे। इन्होने पत्रकारिता के क्षेत्र में विशिष्ट ख्याति प्राप्त की। अटलजी ने अनेक पुस्तकों की रचना की। अटलजी एक कुशल वक्ता हैं। उनके बोलने का ढंग बिलकुल निराला है। पत्रकारिता से अटलजी ने राजनीति में प्रवेश किया। 6 अप्रैल 1980 ई० में उनको भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद पर आसीन किया गया। 16 मई 1996 को अटलजी ने देश के 10वें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली। किन्तु इस बार इनको संख्या बल के आगे त्याग-पत्र देना पड़ा। 19 मार्च 1998 को पुनः अटलजी को देश के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ दिलाई गई। 13 अक्टूबर 1999 को अटलजी ने तीसरी बार प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली।

अटलजी मात्र राजनेता ही नहीं अपितु सर्वमान्य व्यक्ति एवं साहित्यकार भी हैं। उनका चिरप्रसन्न एवं मुक्त स्वभाव उनको महान बना देता है। आज अटलजी राजनीति के उस सर्वोच्च स्थान पर पहुँच चुके हैं जहाँ व्यक्ति को किसी भी राजनीतिक पक्ष की जरूरत नहीं पड़ती। अपितु उनका सान्निध्य ही किसी भी पक्ष अथवा व्यक्ति के लिए गौरव की बात होती है।



अटल बिहारी वाजपेयी | Atal Bihari Vajpayee 


Medium  Essay - 2 :-  Essay on Atal Bihari Vajpayee | अटल बिहारी वाजपेयी पर निबंध






भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपयी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को शिन्दे की छावनी (मध्य प्रदेश) में हुआ था, इनके पिता जी का नाम कृष्ण बिहारी वाजपयी था और माता जी का नाम कृष्ण देवी थी | अटल जी की शिक्षा-दीक्षा

ग्वालियर में ही सम्पन्न हुई। 1939 में जब वे ग्वालियर के विक्टोरिया कॉलेज में अध्ययन कर रहे थे तभी से राष्ट्रीय स्वंय संघ में जाने लगे थे।

राजनीति में प्रवेश करने के उपरान्त आप कदम-पर-कदम राजनीति की सीढ़ियाँ चढ़ते गए और वे आज भी भारतीय के बेदाग शीर्ष-पुरुष है | ये भारत के ऐसे पहले प्रधानमंत्री हैं जिन्हें देश एक निर्विवाद श्रेष्ठ व्यक्ति मानता हैं | ये एक कुशल तथा ओजस्वी वक्ता के रूप में जाने जाते हैं 

सर्वश्री रामविलास पासवान तथा शिवराज पाटिल इनके भाषण के दीवाने रहे हैं| यहाँ तक कि विरोधी दल के नेता भी उनके प्रशंसक रहे हैं

11 वीं लोकसभा में भी ये 13 दिन तक भारत के प्रधानमंत्री रह चुके हैं | 25 जनवरी 1992 को भारत सरकार ने इनको पदम विभूषण से अलंकृत किया था | 28 सितम्बर 1992 उत्तर प्रदेश के हिंदी संस्थान ने इनको हिंदी गौरव के सम्मान से सम्मानित किया 16 अगस्त को आप सर्वश्रेष्ठ सांसद के सम्मान गोविन्द बल्लभ पंत पुरस्कार से सम्मानित किये गए | अटल जी ही पहले विदेश मंत्री थे जिन्होंने संयुक्त राष्ट्र संघ मे हिन्दी में भाषण देकर भारत को गौरवान्वित किया था और राष्ट्रीय भाषा हिन्दी का मान बढाया। अपनी कविता के माध्यम से कहते हैं

वे भारतीय जनसंघ की स्थापना करने वालों में से एक हैं और 1968 से 1973 तक उसके अध्यक्ष भी रहे। उन्होंने अपना जीवन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक के रूप में आजीवन अविवाहित रहने का संकल्प लेकर प्रारम्भ किया था और उस संकल्प को पूरी निष्ठा से आज तक निभाया

वाजपेयी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार के पहले प्रधानमन्त्री थे जिन्होने गैर काँग्रेसी प्रधानमन्त्री पद के 5 साल बिना किसी समस्या के पूरे किए। उन्होंने 24 दलों के गठबंधन से सरकार बनाई थी जिसमें 81 मन्त्री थे। कभी किसी दल ने आनाकानी नहीं की। इससे उनकी नेतृत्व क्षमता का पता चलता है।

परमाणु शक्ति सम्पन्न देशों की संभावित नाराजगी से विचलित हुए बिना उन्होंने अग्नि-दो और परमाणु परीक्षण कर देश की सुरक्षा के लिये साहसी कदम भी उठाये। सन् 1998 में राजस्थान के पोखरण में भारत का द्वितीय परमाणु परीक्षण किया जिसे अमेरिका की CIA को भनक तक नहीं लगने दी।

आत्मियता की भावना से ओत-प्रोत, विज्ञान की भी जय जयकार करने वाले, लोकतंत्र के सजग प्रहरी, राजनीति के मसीहा अटल जी को ईश्वर स्वस्थ दीर्घायु प्रदान करे यही प्रार्थना करते हैं



Long Essay - 3 :-  Essay on Atal Bihari Vajpayee | अटल बिहारी वाजपेयी पर निबंध

                                        अटल बिहारी वाजपेयी


प्रस्तावना:

प्रधानमन्त्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी देश के एकमात्र ऐसे नेता हैं, जो अपनी पार्टी में ही नहीं, विपक्षी पार्टी में समान रूप से सम्माननीय रहे हैं ।

उदार, विवेकशील, निडर, सरल-सहज, राजनेता के रूप में जहां इनकी छवि अत्यन्त लोकप्रिय रही है, वहीं एक ओजस्वी वक्ता, कवि की संवेदनाओं से भरपूर इनका भाबुक हृदय, भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों के प्रति आस्थावान इनका व्यक्तित्व सभी को प्रभावित कर जाता है ।

ये देश के सफल प्रधानमन्त्रियों में से एक हैं । इनकी विलक्षण वाकपटुता को देखकर लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने यह कहा कि- ”इनके कण्ठ में सरस्वती का वास है ।” तो नेहरूजी ने इन्हें ”अद्‌भुत वक्ता की विश्वविख्यात छवि से नवाजा ।”

 जन्म व शिक्षा:

श्री अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसम्बर 1924 को मध्यप्रदेश के ग्वालियर जिले में हुआ था । इनके पिता पण्डित कृष्णबिहारी वाजपेयी एक स्कूल शिक्षक थे और दादा पण्डित श्यामलाल वाजपेयी संस्कृत के जाने-माने विद्वान् थे । वाजपेयीजी की प्रारम्भिक शिक्षा भिंड तथा ग्वालियर में हुई ।

विक्टोरिया कॉलेज (वर्तमान महारानी लक्ष्मीबाई कला एवं वाणिज्य विश्वविद्यालय) से स्नातक की उपाधि ग्रहण की । राजनीति शास्त्र में एम०ए० करने हेतु ये डी०ए०वी० कॉलेज कानपुर चले आये । कानून की पढ़ाई करते-करते अधूरी छोड़कर राजनीति में सक्रिय हो गये ।

ये अपने प्रारम्भिक जीवन में छात्र नेता के साथ-साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सक्रिय एवं समर्पित कार्यकर्ता रहे हैं । राष्ट्रीय स्वयंसेवक के रूप में लखनऊ में इन्होंने राष्ट्रधर्म एवं पांचजन्य नामक पत्रिका का सम्पादन किया । इसी तरह वाराणसी से प्रकाशित वीर चेतना साप्ताहिक, लखनऊ से प्रकाशित दैनिक स्वदेश और दिल्ली से प्रकाशित वीर अर्जुन का भी सम्पादन किया ।


 राजनीतिक जीवन:

श्री वाजपेयीजी की लेखन क्षमता, भाषण कला को देखकर श्यामाप्रसाद मुखर्जी और दीनदयाल उपाध्याय जैसे नेताओं का ध्यान इनकी ओर गया । 1953 में अटलजी को जनसंघ के प्रथम अध्यक्ष डॉ० श्यामाप्रसाद मुखर्जी का निजी सचिव नियुक्त किया गया । साथ में जनसंघ का सचिव भी बनाया गया । 1955 में पहली बार चुनाव मैदान में कदम रखते हुए विजयलक्ष्मी पण्डित की खाली की गयी सीट के उपचुनाव में इन्हें पराजय का मुंह देखना पड़ा ।

1957, 1967, 1971, 1977, 1980, 1991, 1996 और 1998 में सातवीं बार लोकसभा के सदस्य निर्वाचित हुए । 1962 और 1986 में ये राज्यसभा के सदस्य मनोनीत हुए । 1977 से 1979 तक जनता पार्टी के शासनकाल में ये विदेश मन्त्री रहे । सन् 1980 से 1986 तक भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे । विदेश मन्त्री के रूप में इन्होंने निःशस्त्रीकरण, रंगभेद नीति आदि की ओर सदस्य राष्ट्रों का ध्यान आकर्षित किया ।

संयुक्त राष्ट्र संघ में इनका हिन्दी में दिया गया भाषण इन्हें एक कुशल वक्ता साबित करता है । इन्होंने अमेरिका, इजराइल, आस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, फ्रांस तथा पूर्वी एशियाई देशों की यात्राएं भी कीं । आपातकाल के दौरान जयप्रकाश नारायण तथा अन्य नेताओं के साथ इन्होंने जेलयात्रा भी की । 19 अप्रैल 1998 को भारत के राष्ट्रपति के०आर० नारायणन ने इन्हें प्रधानमन्त्री पद की शपथ दिलायी । ये 21 मई 2004 तक भारत के प्रधानमन्त्री रहे ।

इनके कार्य व विचार:

श्री अटल बिहारी वाजपेयी का सम्पूर्ण जीवन एवं इनके सम्पूर्ण विचार राष्ट्र के लिए समर्पित रहे हैं । राष्ट्रसेवा के लिए इन्होंने गृहस्थ जीवन का विचार तक त्याग दिया । अविवाहित प्रधानमन्त्री के रूप में ये एक ईमानदार, निर्लिप्त छवि वाले प्रधानमन्त्री रहे हैं । इन्होंने राजनीति में रहते हुए कभी अपना हित नहीं देखा ।

प्रजातान्त्रिक मूल्यों में इनकी गहरी आस्था है । हिन्दुत्ववादी होते हुए भी इनकी छवि साम्प्रदायिक न होकर धर्मनिरपेक्ष मानव की रही है । लेखक के रूप में इनकी प्रमुख पुस्तकों में मेरी 51 कविताएं, न्यू डाइमेंशन ऑफ इण्डियाज, फॉरेन पालिसी, फोर डिकेड्‌स इन पार्लियामेंट तथा इनके भाषणों का संग्रह उल्लेखनीय है ।

 उपसंहार:

सन् 1992 में ”पद्मविभूषण” तथा 1994 में श्रेष्ठ सांसद के रूप में पण्डित गोविन्द वल्लभ पन्त और लोकमान्य तिलक पुरस्कारों से इन्हें सम्मानित किया गया । आज भी विपक्ष में रहते हुए ये राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्यों के निर्वाह में पूर्णत: आस्थावान हैं । ये एक कुशल राजनेता एवं जनप्रिय प्रधानमन्त्री के रूप में श्रद्धेय और सम्मानित हैं ।


Books written by Atal Bihari Bajpayee | अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा लिखी गई पुस्तकें 




  • Meri Ekyavan Kavitayen -1995
  • Na Dainyam Na Palayanam 1998
  • Decisive days1999
  • Twenty-one Poems 2002
  • Vicara bindu 1997
  • Values, vision & verses of Vajpayee
  • A Constructive Parliamentarian 2012
  • Shakti Se Shanti 1999
  • Kya khoya kya paya Atal Bihari Vajpayee : Vyaktitva aur kavitayen 1999
  • India’s Perspectives on ASEAN and the Asia-Pacific Region 2002
  • Towards a New World: Defining Moments 2004
  • Sankalp-Kaal 2009
  • Towards a Developed Economy: Defining Moments 2004
  • Atal Bihari Vajpayee: Dream for Prosperous India Science & Technology in Nation-building 2016


Poems | कविता पर किताबें और एल्बम 



  • मरिल्क्यवनकवितेम (1995)
  • मरिल्क्यवनकवितेम हिंदी (1995)
  • श्रेष्ठ कविता (1997)
  • नयी दिशा- अलबम जगजीतसिंह के साथट्वेंटी वन पोएम (2003)


Awards won by Atal Bihari Vajpayee | अटल बिहारी वाजपेयी के द्वारा जीते गये पुरस्कार 



  • 1992 में उन्हें पद्म विभूषण प्राप्त हुआ.
  • 1993 में कानपुर विश्वविद्यालय ने उन्हें डी. लिट. के साथ सम्मानित किया.
  • उन्हें 1994 में भारत रत्न पंडित गोविंद बल्लाभ पंत पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.
  • उन्होंने 1994 में सर्वश्रेष्ठ संसदीय पुरस्कार प्राप्त किया.
  • उन्हें 1994 में लोकमान्य तिलक पुरस्कार दिया गया था.
  • उन्हें 2015 में भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार – भारत रत्न से सम्मानित किया गया.
  • बांग्लादेश सरकार द्वारा 7 जून 2015 को उन्हें बांग्लादेश के लिबरेशन वार सम्मान प्रदान किया गया था.


Quotes Of  Atal Bihari Vajpayee | अटल बिहारी वाजपेयी :-



हमारे परमाणु हथियार शुद्ध रूप से किसी भी विरोधी के परमाणु हमले को ख़त्म करने के लिए हैं। ~ अटल बिहारी वाजपेयी

हम मानते हैं कि संयुक्त राज्य अमेरिका और बाकी अंतर्राष्ट्रीय समुदाये पाकिस्तान पर भारत के खिलाफ सीमा पार आतंकवाद को हमेशा के लिए ख़त्म करने का दबाव बना सकते हैं। ~ अटल बिहारी वाजपेयी

हमें उम्मीद है कि दुनिया प्रबुद्ध (परिष्कृत) स्वार्थ की भावना से कार्य करेगी। ~ अटल बिहारी वाजपेयी

संयुक्त राष्ट्र की अद्वितीय वैधता इस सार्वभौमिक धारणा में निहित है कि वह किसी विशेष देश या देशों के समूह के हितों की तुलना में एक बड़े उद्देश्य के लिए काम करता है। ~ अटल बिहारी वाजपेयी

हमें विश्वाश है कि संयुक्त राज्य अमेरिका और बाकी अंतरराष्ट्रीय समुदाय अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर पाकिस्तान के भारत के विरुद्ध सीमा पार आतंकवाद को स्थायी और पारदर्शी रूप से ख़त्म कराने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा सकते हैं। ~ अटल बिहारी वाजपेयी

हम उम्मीद करते हैं की विश्व प्रबुद्ध स्वार्थ की भावना से काम करेगा। ~ अटल बिहारी वाजपेयी

जैव – विविधता कन्वेंशन ने विश्व के गरीबों को कोई ठोस लाभ नहीं पहुँचाया है । ~ अटल बिहारी वाजपेयी

पहले एक अन्तर्निहित दृढ विश्वास था कि संयुक्त राष्ट्र अपने घटक राज्यों की कुल शक्ति की तुलना में अधिक शक्तिशाली होगा। ~ अटल बिहारी वाजपेयी

हम मानते हैं कि संयुक्त राज्य अमेरिका और बाकी अंतर्राष्ट्रीय समुदाये पाकिस्तान पर भारत के खिलाफ सीमा पार आतंकवाद को हमेशा के लिए ख़तम करने का दबाव बना सकते हैं । ~ अटल बिहारी वाजपेयी

हमारे परमाणु हथियार विशुद्ध रूप से किसी विरोधी के परमाणु हमले को हतोत्साहित करने के लिए हैं । ~ अटल बिहारी वाजपेयी

आप मित्र बदल सकते हैं पर पडोसी नहीं । ~ अटल बिहारी वाजपेयी



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